अटल जी के लेख से ✍️
संकल्प तुम्हारा अर्णव सा विराट अटल हो,
लक्ष्य तुम्हारा बादल सा दृढ़ पटल हो,अवरोधों को तुम्हें जड़ से सदा मिटाना हैं,
लक्ष्य का दीप प्रज्वलित कर नहीं बुझाना हैं,
हँसते-हँसते इत्मिनान से संवरते रहना है,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
काले अंधियारे से तुझको नहीं घबराना हैं,
ठोकरों से ठोकर खाकर सफ़ल हो जमाने को बताना हैं,
निष्ठा, धैर्य,लग्न,सजगता को अपने अंदर उपजाना हैं,
दुनिया से हट सफल बन अपना एहसास कराना हैं,
सपनों को उद्देश्य बना असफ़लता से लड़ते रहना है,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
प्रतिज्ञा तेरी अकट,अचल,सच्ची प्रगतिशील हो,
पथ तेरा सुगम्य सटीक प्रयास तेरा सँगर्षशील हो,
अम्बर भी झुकेगा अगर ख़ुद पर विशवास हो,
ना डरना ना थकना रुकना नहीं जबतक सांस हो,
मंजिल अपने सपने की यदि ना मिले तो चलते रहना है,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
कर्तव्य प्रति नित्यता रखकर प्रतिष्ठा अर्जित करनी हैं,
अपनी जीवन कड़ियों को तज्ञ बन पल्लवित हो धरनी हैं,
सर्वदा उत्साह, उमंग,शालीनता से दृढ़ दीप्त रहो,
केसरी से निर्भय,नदी से शीतल संकलित बहो,
जुनून आफ़ताब सा ले स्वयं ताप सह चमकते रहना है,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
वृक्षों के पते बन पतझड़ में नहीं हमको झड़ना हैं,
वृक्ष तने सा रह सर्वदा ज्ञान दीप से ख़ुद को भरना हैं,
हिम शिला सी शान्ति से विज्ञ बन शोभित हो तुम,
पावक से ताप सह असि सा बन प्रकटित हो तुम,
स्नेह बाती सा मेल बढ़ा अपना कर्म करते जाना है,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
सूर्य सा अहंकार कर दूजो के अस्तित्व को नहीं मिटाना हैं,
स्वयं प्रकाशित हो पर अपने साथियों का साथ भी निभाना हैं,
उत्कृष्टता का ज्ञान ले निकृष्टता को समुचा मिटाना हैं,
दिव्य पुंज को पुष्पित करके अज्ञान समुचा हटाना हैं,
ओझलता को बदल दृश्य में फूलों सा महकते रहना है,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
कर्तव्य कर पयस्विनी सा सकल शीतल बहना हैं,
होगा कदमों में शिखर प्रगति पथ पर बढ़ते रहना है ।।
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